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Share Only Your Positive Thoughts - A Beautiful Story in Hindi

सफलता के लिए कोई और योग्यता उतनी महत्वपूर्ण नहीं है, जितनी कि दूसरे लोगों के सामने बोलने, उनका ध्यान खींचने और उन्हें अपने दृष्टिकोण का विश्वास दिलाने की योग्यता । यह संभव है कि कोई व्यक्ति दर्जनों विषयों में पीएचडी की डिग्री ले ले, लेकिन जब तक वह प्रभावी ढंग से अपनी बात दूसरों के सामने नहीं रखेगा, तब तक उसकी इस योग्यता का कोई अर्थ नहीं।  बहरहाल, यह बात तय है कि जब तक आप अपनी बात को सकारात्मक तरीके से व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक अपने क्षेत्र में शिखर तक नहीं पहुंच सकते। प्रभावी ढंग से बोलने की आदत डालने के लिए जरूरी है कि आप जिस भी सभा, समारोह या बैठक में भाग लें उसमें बोलें अवश्य, अपने विचार व्यक्त करें, कोई अनुभव बताएं, किसी तरह से कुछ न कुछ जरूर बोलें।  अपनी टिप्पणियों को पूरे आत्मविश्वास के साथ सकारात्मक तरीके से व्यक्त करें। जो भी बोलें, ईमानदारी से बोलें। अगर आप लोगों को सच बता देते हैं, तो वे आपका समर्थन करेंगे। अगर आप उनसे झूठ बोलते हैं, तो वे आपका साथ छोड़ देंगे।  उम्मीद की. माह जीने की राह आलोचनाओं का सामना सकारात्मक ढंग से करें। यदि आपकी आ...

सार्थक जीवन के लिए हृदय को पवित्र बनाए

छोटी-छोटी तकलीफो की वजह से हर चिंता में मत पड़े रहो। धैर्य रखो, यही मौलिक शक्तिदायक औषधि है। जो कुछ तुम खाते हो, जो कुछ तुम देखते हो, कुछ सुनते हो और जो इंद्रियों द्वारा ग्रहण करते वह सब तुम्हारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बाहरी जगत से तुममें तीन प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती हैं तन प्रकार के मनुष्य होते हैं, जिनमें एक प्रतिक्रिया की अपेक्ष दूसरी प्रबल रहती है।  जिस प्रकार रुई जिस चीज में भ इसे डुबोया जाता है उसे वह अपने में सोख लेती है। पत्थर, जिस पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं होता तथा मक्खन, जो दूसरों के संसर्ग में बदलता रहता है, चाहे हल्की ऊष्णता ही क्यों न हो। मक्खन के प्रकार के मनुष्य दूसरों के सुखों या दुखों में सहानुभूति से तत्काल द्रवित हो जाते हैं।  इसलिए मैं कहता हूं कि छोटी-छोटी तकलीफों की वजह से मानसिक रोगियों के समान हमेशा चिंता में मत पड़े रहो। धैर्य रखो, यही मौलिक शक्तिदायक औषधि है, समय से पहले हार मत माना।  लंबा जीवन ही सब कुछ नहीं, यदि तुम और, और जीते रहो तो एक समय आएगा कि तुम प्रभु से प्रार्थना करोगे कि वह तुम्हें उठा ले तथा इस दुख का...

जितनी दिखती है उतनी बड़ी होती नहीं मुश्किल Motivation Story in Hindi | Must Read Beautiful Story in Hindi

बाधाएं सिर्फ मानसिक होती हैं। इन्हें हल करने का अपने मन में ठानते ही आप होने लगते हैं कामयाब। हर एक के जीवन में बाधाएं आती हैं। वे काल्पनिक नहीं हैं, परंतु दरअसल वे उतनी कठिन भी नहीं हैं जितनी कि वे दिखती हैं। आपका नजरिया सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। विश्वास करें कि ईश्वर ने आपमें वह शक्ति दी है किं आप आपने आपको किसी मुश्किल परिस्थिति से ऊपर उठा सकें, बशर्ते आप अपनी निगाहें अपनी शक्ति के स्रोत पर गड़ाए रहें।  अपने आपसे दृढ़ता से कहते रहें कि इस शक्ति के माध्यम से आप वह सब कुछ कर सकते हैं जो आप करना चाहते हैं। विश्वास रखें कि यह शक्ति सारे तनाव को आपके शरीर से बाहर निकाल रही है और आपके शरीर में प्रवाहित हो रही है। इस पर विश्वास करें, विजय का अहसास आपको अवश्य होगा। उस बाधा पर एक और नजर डालें, जो आपको परेशान कर रही है।  आप पाएंगे कि यह उतनी विराट नहीं है, जितना आपने सोचा था। खुद से कहें- 'मुश्किल सिर्फ मानसिक होती है। मैं विजय के बारे में सोचता हूं, मुझे विजय अवश्य मिलेगी। इस फार्मूले को याद रखें। इसे एक कागज के टुकड़े पर लिखकर अपने पर्स में रख लें, अपने शीशे पर ल...

राख के ढेर में भी उम्मीद की किरण Beautiful Story in Hindi with full Meaning

वस्तुत: कठिनाइयों एवं संकटों के माध्यम से ही ईश्वर हमें बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। जब कोई व्यक्ति आत्मुग्ध होता है तो वह अपनी उपलब्धि के बारे में गलत अनुमान लगा लेता है। ज्यादातर लोग अच्छे उद्देश्य लेकर चलते हैं और उसके मुताबिक काम करते हैं तो उसका अच्छा ही परिणाम मिलता है। कोई भी व्यक्ति, जो निगशाजनक ढंग से अपने किए का मूल्यांकन करता है, तो उसके अच्छे उद्देश्यों में विरोधाभास पैदा हो जाते हैं। कुछ लोग अपना काम उस ढंग से करते हैं जो उन्हें. सुविधाजनक लगता है और शाम को संतुष्टि की भावना लिए घर चले जाते हैं। वे अपने काम का मूल्यांकन नहीं करते। ऐसा माना जाता है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने कार्य को समय के भीतर खत्म करने का इरादा रखता है और अगर इसमें विलंब होता है तो उसके नियंत्रण के बाहर की बात होती है। काम में देरी करने का उसका कोई इरादा नहीं होता, लेकिन अगर उसके काम का तरीका या आलस्य देरो का कारण बनता है. तो क्या यह इरादतन नहीं होता? मेरा युवा दिनों का अच्छा अनुभव रहा है। उन दिनों मेरे भीतर तीव्र इच्छाशक्ति थी। मेरी इच्छा ज्यादा से ज्यादा कुछ अच्छा सीखने की और ज्यादा से ज्य...